राजस्थान की प्रमुख हवेलियां- Havelis in Rajasthan - Famous Old Haveli of Rajasthan

राजस्थान की प्रमुख हवेलियां


महल से कुछ छोटी निजी रिहाइश होती है - हवेली। किसी गांव-कस्बे-शहर में चले जाइये अतीत के किस्से बयान करती हवेलियां आपको जरूर मिल जायेंगी और तो और पुष्टिमार्गियों ने तो अपने ठाकुरजी को ही हवेली में स्थापित कर दिया। ज्यादातर हवेलियां पिछले तीन सौ सालों में खड़ी हुईं। शेखावटी और जैसलमेर की हवेलियां देश-दुनिया के सैलानियों को वर्ष भर न्यौता देती हैं।

दीवान नथमल की हवेलीजैसलमेर

कहा जाता है लल्लू और हाथी नामक दो भाईयों ने यह हवेली जैसलमेर के प्रधानमंत्री दीवान नथमल मोहता के लिये बनाई।

पटवों की हवेलीजैसलमेर

यह पाँच हवेलियों का समूह है। पहली हवेली 1805 में गुमानचंद पटवा ने बनवाई। यह जैसलमेर की सबसे बड़ी हवेली है।

सालिमसिंहजी की हवेलीजैसलमेर

1815 में प्रधानमंत्री सालिमसिंह मोहता के लिए बनी। इसमें 38 बालकनियां हैं।

हवेली कल्चरल सेन्टर नडीन ले प्रिंसफतहपुर

सीकर जिले में फतहपुर में बनी इस हवेली का नाम नन्दलाल देवड़ा हवेली था। 1999 में एक फ्रेंच कलाकार नडीन ले प्रिंस ने यह खरीदी। उसने यहां एक सांस्कृतिक केन्द्रकला दीर्घा व सरस्वती आर्ट गैलेरी भी खोली।

जगन्नाथ सिंघानिया हवेलीफतहपुर

1857 से 1860 के बीच बनी। इसमें एक नौ दरवाजों का एक कमरा है। रंगीन कमरे में राधाकृष्ण के सुन्दर चित्र हैं।

हरकिशन दास सरावगी हवेलीफतहपुर

इसके झरोखे बड़े सुन्दर हैं।

विष्णुनाथ केडि़या हवेलीफतहपुर

यह राजा जॉर्ज व रानी विक्टोरिया के चित्र भी नजर आते हैं।

खानजी की हवेलीफतहपुर

ईमाम बाग के पास स्थित है। यह तीन भागों में बंटी है। एक हवेली का नाम भुआओं की हवेली है।

महावीर प्रसाद गोयनका हवेलीफतहपुर

कहा जाता है कि इसके भित्ति चित्र सबसे सुन्दर हैं। यह 1870 में बनी।

भरतिया हवेलियांफतहपुर


1920 में बनी ये दोनों हवेलियां जापानी टाईल्स से सुसज्जित हैं।

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